कश्मीर फिर दहला – आतंकवाद का नया चेहरा?
कश्मीर एक बार फिर आतंक की चपेट में है। जून 2025 के अंतिम सप्ताह में जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में एक बड़े आतंकी हमले की खबर सामने आई है। इस हमले में जहां सेना ने तीन आतंकियों को मार गिराया, वहीं एक जवान की शहादत भी हुई। ये घटना न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद अभी भी भारत के लिए एक बड़ा खतरा है।
🔹 क्या हुआ कुलगाम में?
घटना 21 जून 2025 की है। शाम करीब 4:30 बजे कुलगाम के फ्रिसल गांव में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली। इसके बाद सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने एक संयुक्त अभियान चलाया।
मुठभेड़ रात 9 बजे तक चली, जिसमें:
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3 आतंकवादी ढेर किए गए
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1 जवान वीरगति को प्राप्त हुए
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2 जवान घायल हुए, जिनका इलाज चल रहा है
सेना की ओर से यह भी बताया गया कि मारे गए आतंकियों के पास से AK-47, हैंड ग्रेनेड और पाकिस्तानी सिम कार्ड भी बरामद किए गए।
🔹 मारे गए आतंकियों की पहचान
सेना के अनुसार, मारे गए तीनों आतंकी स्थानीय नहीं थे। इनकी पहचान पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी बताई गई है।
इनमें एक आतंकी की पहचान अबू हमजा के रूप में हुई है, जो पाकिस्तान का रहने वाला था और कई महीनों से कश्मीर घाटी में सक्रिय था।
🔹 सेना की कार्रवाई क्यों है अहम?
यह मुठभेड़ ऐसे समय पर हुई है जब अमरनाथ यात्रा की तैयारियाँ जोरों पर हैं। ऐसे में यह हमला सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देता है।
सेना की तत्परता से एक बड़ा आतंकी हमला टल गया, जिससे सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान बच गई।
🔹 शहीद जवान की वीरगाथा
इस हमले में 22 वर्षीय जवान अजय सिंह शहीद हुए, जो उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के निवासी थे। उनके पिता भी भारतीय सेना में रह चुके हैं।
अजय की शहादत पर पूरे गाँव और देश को गर्व है। रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवार को हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।
🔹 पाकिस्तान की भूमिका पर फिर उठे सवाल
घटना के बाद सेना ने यह स्पष्ट किया कि मारे गए आतंकी पाकिस्तानी ट्रेनिंग कैम्प्स से प्रशिक्षित थे। इनकी घुसपैठ LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) के रास्ते हुई थी।
इससे एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान पर सवाल उठाए हैं कि:
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जब भी भारत में कोई बड़ा आयोजन होता है (जैसे चुनाव, अमरनाथ यात्रा), तो ऐसे आतंकी हमले क्यों होते हैं?
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क्या पाकिस्तान की सरकार और सेना इन हमलों में शामिल हैं?
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क्या FATF की निगरानी के बावजूद पाकिस्तान अपने आतंक समर्थक रवैये से बाज नहीं आ रहा?
🔹 गृह मंत्रालय की प्रतिक्रिया
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा:
“भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित किया कि हम आतंक को बर्दाश्त नहीं करते। कश्मीर में शांति के दुश्मनों को जवाब मिलेगा, और मिलेगा बार-बार।”
इसके साथ ही कश्मीर के 10 जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।
🔹 स्थानीय लोगों की भूमिका: मदद या डर?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई बार आतंकियों को स्थानीय स्तर पर समर्थन मिलता है — चाहे वो डर की वजह से हो या सहानुभूति से।
हालांकि, कुलगाम की इस घटना में गांव वालों ने सेना को सूचना देकर सहयोग किया, जो कश्मीर में एक सकारात्मक संकेत है कि आम जनता अब आतंक के खिलाफ खड़ी हो रही है।
🔹 विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी सहित विपक्षी दलों ने शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए सरकार से यह सवाल पूछा:
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LoC की निगरानी में कमी क्यों है?
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आतंकियों के पास पाकिस्तानी सिम और हथियार कैसे आए?
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कब तक आम नागरिक और जवान शहीद होते रहेंगे?
🔹 मीडिया और सोशल मीडिया की हलचल
इस हमले की खबर जैसे ही फैली, ट्विटर पर #KulgamAttack, #IndianArmy, और #PakistanExposed जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
लोगों ने जवानों की बहादुरी को सलाम किया और सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की।
🔹 कश्मीर में सुरक्षा को लेकर आगे की रणनीति
हमले के बाद सरकार ने कुछ अहम निर्णय लिए हैं:
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LoC पर ड्रोन निगरानी बढ़ाई जाएगी
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अमरनाथ यात्रा के रूट पर 3-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था
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गांवों में इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत किया जाएगा
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घाटी में 30,000 अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए जाएंगे
🔹 निष्कर्ष: क्या कश्मीर में स्थायी शांति मुमकिन है?
इस हमले ने यह तो साबित कर दिया कि कश्मीर में आतंकवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। लेकिन सेना और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता भी दिखाई दी, जिसने एक बड़ा हादसा टाल दिया।
अब सवाल यह नहीं कि अगला हमला कब होगा — बल्कि यह है कि क्या हम ऐसी स्थायी रणनीति बना पाएंगे, जो आतंकवाद को जड़ से खत्म कर दे?